सदियों से ही ब्याज मानव जीवन के दैनिक जीवन से
लेकर बिजनेस या नौकरी किसी भी क्षेत्र में जहां पैसे का लेंन देंन होता है बहोत ही
ज्यादा उपयोग किया जाता है,
जैसे बैंक में ब्याज दर प्रतिशत,
कोई व्यक्ति नौकरी कर रहा है तो उसका टैक्स,
ब्याज दर पे छूट, ऐसी
बहोत सारा क्षेत्र है जहां पर ब्याज का उपयोग होता है,
हमारी शिक्षा प्रणाली में तो एक अलग पाठ ही होता है चक्रवृद्धि ब्याज किसे कहते हैं,
और उसके सूत्र का क्योंकि यह बहोत ही महत्वपूर्ण है,
चाहे वह दैनिक जीवन हो या कोई बड़ा बिजनेस।
वैसे ब्याज कई तरह के होते है साधारणतः मूल रूप से
सबसे अधिक उपयोग कुछ ही ब्याज दर का किया जाता है जैसे – साधारण ब्याज,
चक्रवृद्धि ब्याज,
चक्रवृद्धि ब्याज किसे कहते हैं
चक्रवृद्धि ब्याज किसे कहते हैं,
चक्रवृद्धि ब्याज वह ब्याज है जिसके मूल धन में उसके ब्याज को जोड़ दिया जाता है और
फिर उस पूरे मूल धन का ब्याज लिया जाता है वही चक्रवृद्धि ब्याज कहलाता है।
चक्रवृद्धि ब्याज को कुछ उदाहरणों से समझते हैं
माना की आपनें किसी व्यक्ति को चार महिनें के लिए 100 रुपये दिये है 10 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज की दर से, तो अब आप को पहले महिनें उस व्यक्ति से 100 रुपये का 10 प्रतिशत लेना है
और 100 रुपये का 10 प्रतिशत 10 रुपये होगा, अब दूसरे महिनें आप अपनें मूल धन यानि की 100 रुपये में 10 रुपये और जोड़ देंगे और फिर आप 110 रुपये पर 10 प्रतिशत का ब्याज लेंगे यानि की अगले महिनें 110 रुपये का 10 प्रतिशत के हिसाब से 11 रुपये होगा
और इसी तरह हर बार का ब्याज जो हर महिनें
आयेगा वह मूल धन के रूप में हो जाता है और फिर उसपर तय किया गया ब्याज व्यक्ति को
देना होता है यही होता है चक्रवृद्धि ब्याज दर।
हल देखें –
पहले महिनें = 100 x
10 / 100 = 10 पहले महिनें सिर्फ साधारण ब्याज ही
रहेगा।
दूसरे महीनें अब 10 रुपये को अपने मूल धन यानि की
100 में जोड़ लेंगे और उसपर 10 प्रतिशत का ब्याज लेंगे।
जैसे,
110 x 10 / 100 = 11
तीसरे महिनें फिर से 110 में 11 और जोड़ देंगे तब यह
संख्या 121 हो जाएगा और अब हम 121 रुपये पर ब्याज लेंगे।
जैसे,
121 x 10 / 100 = 12.1
चौथे महिनें हम 121 में 12.1 और जोड़नें पर 133.1
होगा और अब इस पर ब्याज लेंगे।
जैसे,
133.1 x 10 /
100 = 13.31
अब हम 133.1 में 13.31 को जोड़ेंगे और एक नई संख्या
146.31 मिलेगा और यही है 100 का चार महिनें का चक्रवृद्धि ब्याज का पूरा पैसा।
चक्रवृद्धि ब्याज का सूत्र
साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज में अंतर
देखिये साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज में बस एक
छोटा सा ही अंतर है, चक्रवृद्धि
ब्याज में क्या होता था की हम अगले व्यक्ति से अपने मूल धन के ब्याज को मूल धन बना
कर उसका ब्याज लेते थे,
परंतु साधारण ब्याज में हम केवल अपनें मूल धन का ही ब्याज लेते हैं।
चक्रवृद्धि ब्याज का उदाहरण –
जैसे की हमनें ऊपर ही चक्रवृद्धि ब्याज के बारे में
बताया और उदाहरण के साथ समझाया अबकी बार हम फिर से समझते हैं
माना की हमनें किसी को 1000 रुपये दिया तीन महिनें
के लिए और 15 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज की दर से,
तो पाँच महिनें में कितना रुपया होगा।
सबसे पहले एक महिनें का ब्याज निकालें = 1000 x
15 / 100 = 150 पहले महीने हमेसा सिर्फ साधारण ब्याज ही
निकलेगा।
दूसरे महिनें में हम 1000 में 150 को और जोड़ देंगे
और अब हम अगले व्यक्ति से 1150 रुपये पर ब्याज लेंगे।
जैसे,
1150 x 15 / 100 = 172.5
तीसरे महिनें में हम 1150 में 172.5 और जोड़ देंगे
और उस पर ब्याज लेंगे तब 1150 + 172.5 = 1322.5 होगा।
जैसे,
1322.5 x 15 / 100 = 198.375
तीन महिनें बाद उस व्यक्ति से आपको 1520.875 रुपये
लेनें हैं चक्रिवृद्धि ब्याज की दर से।
साधारण ब्याज किसे कहते हैं –
साधारण ब्याज में सिर्फ ब्याज को हर महिनें लिया
जाता है इसमें ब्याज को मूल धन में नही जोड़ते हैं।
उदाहरण -
माना की राम नें श्याम से 100 रुपये दो महिनें के
लिए 15 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज पर पैसे लिए है तो
पहले महिनें 100 x
15 / 100 = 15 रुपये
दूसरे महिनें 100 x
15 / 100 = 15 रुपये
और अब हम इन दोनों महीने के ब्याज जो आपस में जोड़
लेंगे, 15 + 15 = 30
अब हम उस व्यक्ति से अपना मूल धन 100 उपाए और उसका ब्याज 30 यानि की 100 + 30 रुपये लेंगे।
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नोट -
आज के इस पोस्ट में हम सब नें ब्याज के बारे में जाना है, वैसे तो साधारणतः ब्याज दो ही तरह का होता है चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज और इस पोस्ट में इन दोनों ब्याजों के बारे में उदाहरण के साथ बताया गया है, जैसे, चक्रवृद्धि ब्याज किसे कहते हैं, साधारण ब्याज किसे कहते है, साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज में अंतर, इन सभी को सीखा है अगर ये पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।